बुधवार, 7 मार्च 2018

भारत में बदलते राजनीतिक दल

हाल ही में त्रिपुरा में लेलिन की मूर्ति तोड़ने से हुई हिंसा कुछ विशेष राजनैतिक दलों और उनके कार्यकर्ताओं की मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाने के साथ ही भारत के भविष्य के लिए सोचने के लिए विवश करती है कि "कहीं हम इन राजनेताओं की बातों में आकर अपने देश में ग्रहयुद्ध को न्योता तो नहीं दे रहे हैं?" लेलिन को विदेशी कहकर उनकी मूर्ति तोड़ना नहीं बल्कि इनका मुख्य मुद्दा एक धारणा को खत्म करना है। लेलिन जिन्हें हमारे देश के बहुत नौजवान अपना आदर्श मानते हैं। राम मंदिर पर वोट मांगने वाले और भारत में रामराज्य लाने की बात करने वाले कुछ व्यक्ति विशेष द्वारा किसी भी महापुरुषों जैसे महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, भीमराव अम्बेडकर, पेरियार आदि की बेज्जिती करना कितना सही है? क्या इसी तरह देश में रामराज्य आएगा? तरफ बोला जाता है कि हमारा भारत महापुरुषों की जन्मभूमि है वहीं दूसरी तरफ महापुरुषों को राजनेताओं द्वारा गालियों से नवाजा जाता है। आजकल भारत में सत्ताधारी राजनीतिक दल अपनी राजनीति चमकाने के लिए मूलभूत मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए भोले-भाले युवाओं को रोजगार, शिक्षा देने के बजाय धर्म के नाम पर उल्टी सीधी बयानबाजी कर युवाओं को आपस में वांटने पर लगे हैं जिससे कि युवाओं द्वारा दंगे करवा सकें और इसका फायदा उठा सकें। राजनीति दल अपनी पार्टी को अव्वल दर्जे का बनाने के लिए युवाओं के भविष्य से खेल रहीं हैं। 

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